April 4, 2007

पाना चाहूँ लेकिन ..

April 04, 2007 Posted by Vijay No comments
चाहता हूँ पाने को उसे ।
पर दिल में है एक दर ।
कितनों से और डरूंगा,
खबर नही है मगर।

इस बात पे यकीन है,
पा लूं तो होगी ख़ुशी कि लहर।
इनकार होगा इस बात का है डर,
कैसे यकीन दिलाऊँ प्यार है मगर।

आंखें तो मिलती हैं देखने को,
हुस्न तो देखा है मदहोशी को ।
पता है क्या उसको में हूँ इधर,
उस नज़र को तरसता हुआ इधर।

नज़रें भी मिली नही अगर,
लग जाये तो सही उसे खबर।
है एक दीवाना बैठे बगल,
उसके ख़्वाब में हुए मगन।

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