June 5, 2007

मुस्कुराहट की खोज में ..

June 05, 2007 Posted by Vijay 1 comment
एक मुस्कुराहट की खोज।
बिन चाहत की खोज ।
इस बात को लिए सोच,
हूँ बड़ा ही संकोच।

वोह कौन है जो बिन मुस्कुराये
बिन सोच के हिचकिचाये
अनजान बने और चाहे
कि मुस्कान लौट आये ?

जान पहचान ना होके ,
हँसी एक पल का देके,
चल पडे वोह धोल्के,
लाफ्टर चैलेन्ज में आके ।



एक पल की मुस्कान को तरस ,
नशे में लेते हैं चरस ।
मिटते हैं यह बरस बरस ,
नशे लेके अपने नस नस ।

मुस्कुराके चलें तो क्या ?
खुश करेंगे या
बिन मुस्कराहट के गम
दिल रोये और आंखें हैं नम ।

चाहूँ सबको एक पल हसाने को ।
मुस्कान एक होंठों पे लाने को ।
दीवाना समझ बैठे हैं वोह भी ।
समझ नही पाते हैं कभी भी ।

दिल हल्का हो जाय यह कर ।
मज़ाक सूझे और दीवाना बने उस पल ।
खुद ही तमाशा बनना है।
लेकिन कोई यह बात नही समझता ।

है एक कोना मेरा भी
जहाँ रोना होता है मुझे भी ।
समझ सके कोई कभी ,
इसीकी इंतज़ार में हूँ अभी।

1 comments:

रवि रतलामी said...

अगर यह आपकी पहली हिन्दी पोस्ट है तो आपको मबारकबाद!

हिन्दी में नियमित लेखन की शुभकामनाएँ!